संजय राणा-sanjay rana (कहाँ तुम चले गए)
निशब्द हूँ !न केवल मैं, बल्कि हर वो शख़्स जो आपसे कभी रूबरू हुआ था।निःशब्द है हर वो गीत जिनमें मधुरता के साथ साथ आपकी छवी झलकती थी।निशब्द है संगीत की हर वो धुन...
निशब्द हूँ !न केवल मैं, बल्कि हर वो शख़्स जो आपसे कभी रूबरू हुआ था।निःशब्द है हर वो गीत जिनमें मधुरता के साथ साथ आपकी छवी झलकती थी।निशब्द है संगीत की हर वो धुन...
गीत संगीत का हमारी ज़िंदगी से जुड़ाव और लगाव एक अलग क़िस्म का होता है जिसे एक शब्द में बयाँ कर पाना मुश्किल है। वहीं इसी गीत संगीत की पसंद ना पसंद भी सबकी...
ज़िंदगी का खेल कभी-कभी समझ के परे होता है जो ना सुख का हिस्सा होता है ना दुख का, बस अफ़सोस के ही इर्द गिर्द चक्कर लगाता है। कभी लगता है ये ज़िंदगी वाक़ई में दो दिन का खेल है जिसमें इंसान अपने हिस्से का अभिनय करके चला जाता है। रह जाती है तो सिर्फ यादें।