मृणाल रतूड़ी के नए गीत में दिखा पिता पुत्र का मार्मिक प्रेम
एक समय वो था जब नरेंद्र सिंह नेगी के गानों को सुनकर सुकून महसूस होता था, क्योंकि उनके गाने ज़िंदगी से जुड़े हुए महसूस होते थे। फिर गानों के स्वरूप में आते बदलावों ने...
एक समय वो था जब नरेंद्र सिंह नेगी के गानों को सुनकर सुकून महसूस होता था, क्योंकि उनके गाने ज़िंदगी से जुड़े हुए महसूस होते थे। फिर गानों के स्वरूप में आते बदलावों ने...
गीत संगीत का हमारी ज़िंदगी से जुड़ाव और लगाव एक अलग क़िस्म का होता है जिसे एक शब्द में बयाँ कर पाना मुश्किल है। वहीं इसी गीत संगीत की पसंद ना पसंद भी सबकी...
ये दिल तुम बिन ये दिल तुम बिन कुछ कहता नहीं, कुछ सुनता नहीं कहीं रुकता नहीं। ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, कुछ सुनता नहीं कहीं रुकता नहीं।। साँसे चलती हर रोज...
मुखड़ा 1 तुम बेपनाह बरसी हो बूँद बनकर, फिसलती हुई जिस्म की रूह मैं | आलम है अब ये सोचा कुछ भी ना जाए, तेरी आँखों मैं डूबता जा रहा मैं | क्या ये सच है, ख्वाब है या कोई, बोल दो ना बोल दो ना | 2 तुम बेपनाह बरसी हो बूँद बनकर…… बोल- सुजाता देवराड़ी अंतरा1 ओढ़ लूँ तुमको में, बनाके गर्म चादर। इस कदर टूट जाऊँ, बाहों में आकर। सर्द है ये हवायें, ख़ामोश है ये जहाँ। मेरी ख़्वाहिश है अब ये, ना रहे कोई दरमियाँ। एहसास...