ये दिल तुम बिन
ये दिल तुम बिन कुछ कहता नहीं, कुछ सुनता नहीं कहीं रुकता नहीं।
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, कुछ सुनता नहीं कहीं रुकता नहीं।।
साँसे चलती हर रोज मग़र, साँसे चलती हर रोज मग़र।
धड़कन तुम बिन, धड़कती नहीं।।
अंतरा 1
मैं जब भी तुम्हें महसूस करूँ, लब पे अपने तुम्हें पाती हूँ।
अल्फ़ाज़ मेरे निकले, हर बात में तेरा ही ज़िक्र मिले।
तेरे साये में ख़ुद को ढूंढती हूँ , वो रुक जाए तो मैं चलती नहीं ।।
साँसे चलती हर रोज मग़र, साँसे चलती हर रोज मग़र। ।
धड़कन तुम बिन, धड़कती नहीं।।
अंतरा 2
सच है दो दिल हम दोनों हैं , साँसे एक ही पर चलती है।
और जब भी मेरी आँखें खुलती हैं , दुनिया मेरी उसमें बस्ती है।
तुम्हें छू ना ले कोई मेरे सिवा, इस डर से तुम्हें कहीं लिखता नहीं।
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, कुछ सुनता नहीं कहीं रुकता नहीं।।
साँसे चलती हर रोज मग़र, साँसे चलती हर रोज मग़र।
धड़कन तुम बिन, धड़कती नहीं।।
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© सुजाता देवराड़ी
सुन्दर गीत…..