लाइफ मैं कुछ चीज़ें कितनी यूनीक होती है न? और सबसे बड़ी बात की वो चीज़ें हमारी लाइफ मैं एक बहत इम्पोर्टेंट रोल प्ले करती है…. हमें बच्चे से बड़ा बनने तक, हमारी लाइफ की सक्सेस में, और जैसे जैसे हम नई चीज़ों की तरफ मूव करते हैं…. वो भी हमारे साथ एक नया रूप लेकर आगे बढ़ती हैं…… जैसे हमारा बचपन, बचपन की कुछ बातें और उनसे जुडी कुछ यादें, उन्हीं बातों और यादों में दो चीज़ें एसी हैं जिन्होंने बचपन मैं हमारे मम्मी पापा की तरह हमारा बहुत साथ दिया……पेन्सिल और रबर……वर्ल्ड के दो बेस्ट फ्रेंड्स….और मेरे भी……कहने को ये दो, सिर्फ लिखती और मिटाती है….लेकिन कभी आपने सोचा है, की इन्हीं दो चीज़ों ने आपका और हमारा बचपन संवारा है….हर पल हमारा साथ निभाया है….
जैसे बचपन मैं मेरे पापा हमारी ऊँगली पकड़कर हमें चलना सिखाते थे, वेसे ही, मेरी ये फ्रेंड हमारी छोटी छोटी उँगलियों मैं खुद को दबाकर हमें आगे बढ़ना सिखाती थी…और गलती करने पर जब पापा डांट लगा देते थे, तो मम्मी केसे बात को पलट देती थी, वेसे ही मेरी फ्रेंड पेन्सिल से अगर कोई गलती हो जाती थी, तो दूसरी फ्रेंड रबड़ आकर उसे चुपके से मिटा देती थी….ताकि मैं कुछ गलत न लिख पाऊ ……जब मैं अकेले होती थी…तो ये दो हमेशा मेरे साथ मेरी रूम मेट्स बनकर रहती थी…और जब मेरा बर्थडे आता था तो मैं बहुत खुश होती थी…क्योंकि मुझे पता होता था, की आज मेरी दो बेस्ट फ्रेंड्स को नया घर मिलने वाला वाला है….पेन्सिल बॉक्स के रूप में…जब मैं कभी उदास हो जाती थी.. तो मैं झट से अपनी दो फ्रेंड्स को बुलाती और फिर बहुत सारी मस्ती करती… कभी द्रोइंग बनाती तो कभी पेन्सिल के कपड़ों से कुछ नया करने की कोशिश करती थी…
मुझे याद है आज भी वो दिन….जब मम्मी ने मुझे पहली बार पेन्सिल रबर दी थी….और मैंने बड़े प्यार से खुश होकर उछलते कूदते उसे अपने स्कूल बैग मैं संभाला था…लेकिन मुझसे गलती से पेन्सिल की नोक टूट गई थी.. और मैं घर आकर बहुत रोई ……तो मम्मी की वो बात मुझे आज भी याद है…जब मम्मी ने कहा बेटा रो मत…तुम्हारी फ्रेंड को सिर्फ थोड़ी सी चोट लगी है… ठीक हो जाएगी….शाप्नर लेकर मम्मी ने पेन्सिल की नोक फिर से बना दी….और मेरे चेहरे पर फिर मुस्कराहट आ गई…..मैंने मम्मी को कहा लव यू मम्मा…
एक छोटे बच्चे का माइंड भी कोपी पेन्सिल और रबड़ की तरह होता है….जिसमें जब चाहे कुछ लिख दो, और जब चाहे कुछ मिटा दो…ये एक बहुत पोसिटिव साईन है…की अगर कुछ गलत चीज़ बच्चे जुबान पर आई है.. तो तुरंत उसके दिमाग से उस चीज़ को मिटाकर एक नई चीज़ को लिख दो….ताकि वह फिर उस बात को न बोल पाए….ये बात मम्मी बहुत अछे से जानती थी…इसलिए मम्मी ने मेरे दिमाग से टूटा वर्ड मिटाकर उसे चोट मैं बदल दिया, और उसे ठीक भी कर दिया…
जैसे जैसे मैं बड़ी हुई तो पेन्सिल और रबड़ भी मेरे साथ बड़े हो गए…और उन्होंने रूप लिया पेन और वाइट्नर का….एग्जाम मैं कभी मुझसे या पेन से कुछ गड़बड़ हो जाती थी, तो वाइट्नर उसे ठीक करके मुझे बचा लेता था…कितनी अछि दोस्ती है…जो कभी साथ नहीं छोडती….
चाहे पापा को ख़त लिखना हो, या अपनी डायरी मैं अपने सीक्रेटस…इनके बिना कुछ नहीं होता था…पेन्सिल रबड़ से वो रफ़ मेहँदी का डिज़ाईन, वो रफ़ होमवर्क, और फिर पेन से उसे फेयर करना.. सब कुछ कितना अच्छा लगता था… लेकिन आज भी ये चीज़ें दिल और दिमाग मैं अपनी जगह बनाये हुए हैं…जिन्हें मैं कभी नहीं भूल सकती… मेरी लाइफ आज भी वही है… जैसे बचपन मैं थी…और आज भी मेरे दोस्त पेन्सिल और रबड़ है…. उन्हें यूज करने का तरीका जरुर बदल गया, मगर साथी अब भी यही दो है…. अगर दिमाग मैं कुछ गलत बात आ भी जाती है.. तो अपने दिल को रबर बनाकर उसे खुद पर हावी नहीं होने देती…..इसलिए आपका भी फ़र्ज़ है, की अगर आपके आसपास कुछ बुरा हो रहा हो, तो खुद को रबड़ बनाकर उसे मिटने की कोशिश करिए, अपने मन और अपनी सोच को एक साफ कोपी बनाईये….ताकि आप उस कोपी मैं बहुत सारी अच्छाई भर सको….क्योंकि आपको भी पता है, कि हर नई चीज़ के लिए स्पेस जरुरी होता है…
क्योंकि कुछ चीज़ें बहुत यूनिक होती है..
हँसते, मुस्कुराते, स्वस्थ रहिये। ज़िन्दगी यही है।
आप मुझसे इस आईडी पर संपर्क कर सकते हैं.
sujatadevrari198@gmail.com
© सुजाता देवराड़ी
बिल्कुल सही कहा
सुन्दरता के साथ अभिव्यक्त एवम इंगित
शुक्रिया सर
Ati sundra
Bhaut Sundar madam.
Wow,,,
Beautiful👌😊
dhanywaad
Bhout badiya Sweta ji
शुक्रिया जी
Nice expression of thought
शुक्रिया