आज दिवस मेरी माँ का आया | सुजाता देवराड़ी | हिन्दी कविता
आज दिवस मेरी माँ का आया।
आजाद हुए सब, भारत कहलाया।
इस धरती की पुण्य भूमि में।
धन्य हुए हम, जन्म जो पाया
आज दिवस मेरी माँ का आया।
कई दुःख सहे, कई पीड़ा झेली।
वीर सपूतों ने, फाँसी ले ली
भारत माँ की लाज बचाने
खुद के प्राणों की, बलि दे दी।
चहूँ दिशा में, गूंजे हर पल।
जब राष्ट्रगान जन मन गाया
इस धरती की पुण्य भूमि में।
धन्य हुए हम, जन्म जो पाया।
आज दिवस मेरी माँ का आया।
मान मेरा अभिमान है भारत।
प्यार प्रेम सम्मान है भारत।
है इश्क़ मुझे तिरंगे से मेरे
जाति धर्म सब आन है भारत।
शपथ मुझे मेरी मिट्टी की
ना झुकने दूँ कभी सिर इसका।
मेरा रंग रूप, मेरा स्वाभिमान
मेरे रग रग में बसा है भारत।
वंदे मातरम, वंदे मातरम।
नाम मुझे बस यही भाया।
इस धरती की पुण्य भूमि में।
धन्य हुए हम, जन्म जो पाया।
आज दिवस मेरी माँ का आया।
एक जन्म हुआ मेरा फर्ज निभाने।
तब माँ के खून में लिपटा मैं।
अब फर्ज बचाने निकला हूँ।
मुझमें मेरा ध्वज लहराता है।
मेरी कर्म भूमि माँ तू ही है।
हर साँस मेरी तुझसे ही है।
मेरे खून का इक इक कतरा भी,
तेरे माथे के तिलक में शोभित है।
कोई आस न बाक़ी जिंदा है।
न मौत से कोई शिकवा है।
मुझे फक्र है मेरी माटी पर।
जो तेरे काम माँ मैं आया।
इस धरती की पुण्य भूमि में।
धन्य हुए हम, जन्म जो पाया।
आज दिवस मेरी माँ का आया।
– सुजाता देवराड़ी
बहुत सुंदर ।
जी आभार…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, सुजाता दी।
जी आभार मैम…