Author: सुजाता देवराड़ी

यादें -ऋषि कपूर की - अलविदा Rishi Kapoor 3

यादें -ऋषि कपूर की – अलविदा Rishi Kapoor

ज़िंदगी का खेल कभी-कभी समझ के परे होता है जो ना सुख का हिस्सा होता है ना दुख का, बस अफ़सोस के ही इर्द गिर्द चक्कर लगाता है। कभी लगता है ये ज़िंदगी वाक़ई में दो दिन का खेल है जिसमें इंसान अपने हिस्से का अभिनय करके चला जाता है। रह जाती है तो सिर्फ यादें।

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बैसाखी मेला

बैसाखी का त्यौहार आने वाला  हैं। मगर हर साल की तरह, इस बार ये त्यौहार पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाना संभव नहीं है। क्योंकि देश एक बहुत बड़े संकट से जूझ रहा है।...

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जलन- आप जल तो लोगे

हम लोग अपनी ज़िंदगी में कितने स्वार्थी क़िस्म  के हो गए हैं ना..? ये मेरा वो मेरा, इसका-उसका,  ये “मैं” नामक अहंकार हमको दिन ब दिन जकड़ते जा रहा रहा है। मुझे इतना चाहिए, मुझे...

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अल्फ़ाज़ों को निकलने दो

अल्फ़ाज़ों का हमारी ज़िंदगी में बहुत महत्वपूर्ण क़िरदार होता है। वो हमें हमारे रिश्तों से जोड़े रखता है। उन्हे समेटे रखता है। लेकिन कभी गुस्से या मज़ाक में निकले वही अल्फ़ाज़ हमें या दूसरों...

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ढाई दिन की तनख्वाह

सुनो ! जरा दो चार सौ रुपये होंगे? मदन ने शीशे में खुद की कमीज (शर्ट) को देखकर अपनी पत्नी शीला से कहा। शीला मदन के लिए टिफिन लेकर कमरे में आई थी। तो...

दिल की आरज़ू 0

दिल की आरज़ू

तेरा मन चंचल है मैं जानता हूँ। पर तू मेरी जात से वाकिफ़ न ही हो तो बेहतर है।। हँसते, मुस्कुराते, स्वस्थ रहिये। ज़िन्दगी यही है।    आप मुझसे इस आईडी पर संपर्क कर...

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करोना वायरस -डरना मना है

डरना मना है।  मिलके ही लड़ना है। भीड़ से बचना है। सफाई से रहना है। हाथों को धोना है। हँसके भगाना है। मौत का सपना, जो लेकर ये आया। मुंह के ही बल अब, ...

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इज़हार-ए-मोहब्बत

इन गालों पे मेरे,तेरी हथेली के छाप छपे हैं।  इज़हार-ए-मोहब्बत, जब से तेरा दीदार किये हैं।  सबकी नज़रों से तुझे बचाने के, तमाम जतन कर लिए।  पर पलकें मेरी ही चोरी से, तेरी उँगलियाँ...