बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या
“जग में कुछ मुश्किल ना है।
विघ्न है तो हल भी है।। “
दुनियां में इम्पॉसिबल कुछ भी नहीं है, हम अगर मेहनत और लगन से कुछ करने की ठान ले तो। सफलता जरूर मिलती है। और ज़िन्दगी में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका निवारण न किया जा सके। बस सही सोच और आपका एक सही कदम आपको बहुत ऊंचा बना सकता है। और आज की डेट में देखा जाए तो हमारी सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या है; जिसका कारण हम सब है, जाने अनजाने इमोसशनल होकर हमने आज इस समस्या को बढ़ावा दिया है। और कहते हैं कि अगर हमसे कोई गलती या भूल हो जाती है तो उससे बाहर निकलना और उस प्रोब्लम को खत्म करने की ज़िम्मेदारी हमारी खुद की होती है। क्यों सब जानते हुए भी सब खामोश है, सब कुछ देखते हुए भी अनदेखा कर रहै है, अपने आज की खुशियों के कारण सबका आने वाला कल खतरे में हैं डाल रहे हैं।
90%समाज शिक्षित है फिर भी जनसंख्या का ये रेट । जो करोड़ो से बढ़कर बिलियन तक पहुंच चुका है। और इस रेट को देखते हुए इस लग रहा है कि 2030 तक हमें सांस लेने की भी जगह नहीं मिलेगी। हर दिन सब लोग न्यूज़ पढ़ते हैं tv देखते हैं लेकिन सब कुछ जानकर भी वही गलती। हर बार । क्यों ???? क्यों एक कुलदीपक के मोह में पूरे देश का दीपक बुझाने का प्रयत्न कर रहे हैं। अपने स्वार्थ के लिए बुढ़ापे का सहारा मानकर एक बेटे के लिए कई बच्चों को पैदा किये जा रहें है। बच्चे खेत की फसल नहीं है, कि एक बार नहीं मन भरा तो दोबारा बीज बो दो। बच्चे भगवान की देन है। लेकिन हमने क्या किया? भगवान की देन समझकर अपनी सोच को खत्म कर दिया। संतोष इंसान का सबसे बड़ा मित्र होता है। लेकिन हमने उसे भी अपनी ज़िंदगी से निकाल दिया। और अब बाहरी खतरों से डर रहे हैं। लेकिन उस डर का क्या जो हमने खुद पैदा किया है। आने वाले समय में जनसंख्या की वृद्धि किसी आतंक से कम नहीं है।
सूंयुक्त राष्ट्र अमेरिका के मुताबिक पूरे विश्व की जनसंख्या 7.396 अरबों से भी ऊपर बढ़ रही है। अप्रैल 2019 तक 7.7 बिलियन जनसंख्या हैं।और भारत की जनसंख्या 23 अगस्त 2017 के रिसर्च रिकॉर्ड के अनुसार 1.34 बिलियन पहुंच चुकी है। और इस साल के खत्म होते होते यह आंकड़ा 1.36 बिलियन क्रोस कर देगा। क्योंकि पूरे भारत में एक मिनट में 51% बच्चे पैदा होते हैं। हम सब क्यों आंखे बंद कर बैठे हैं? । 2019 में भारत की जनसंख्या 1.36 अरब पहुंच गयी है |
अपनी सोच को क्यों नहीं बदल रहे हैं। सरकार पर निर्भर होकर जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि सरकार की पालिसी तभी काम करेगी, जब हमारी सोच उसे अपने जीवन में आने देगी। अगर हर घर में एक भी व्यक्ति शिक्षित है तो भी जनसंख्या में कमी लायी जा सकती है।
क्योंकि घर-घर जाकर संदेश देने से बेहतर है, हर व्यक्ति खुद के घर से शुरुआत करे। अपने देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी हर व्यक्ति की है। शिक्षा वह नहीं है कि आप पढ़ लिखकर किसी बड़े पोस्ट पर लग जाय। बल्कि वो है कि आपकी शिक्षा किसी को सही गलत की पहचान कराये। अपनी आने वाली पीढ़ी की सुरक्षा के बारे में सबको अवगत कराएं। शिक्षा के मामले में भारत बहुत अच्छी रैंक पर है, पर इस बढ़ती जनसंख्या को देखर ऐसा लगता है कि मानो पूरा देश अनपढ़ है। जितनी कोशिशें हम सोसल मीडिया पर भाषण बाजी की करते हैं उपदेशों से भरे मेसेज को फारवर्ड करते हैं उतने ही उपदेशो को अपनी ज़िंदगी में उतार लेते तो शायद हमारी सोच बढ़ जाती। जो अनजान है, इस बात से वो समझ जाते। हेल्थ भी हमारी जनसंख्या को बढ़ाने में काफी हद तक सहायता कर रहा है, क्योंकि म्रत्यु दर में व्रद्धि लोगों के दिलों में डर पैदा कर रहा है। और यही डर उन्हें बच्चों की संख्या बढ़ाने पे मजबूर कर रहा है। लड़कियों की कम उम्र में शादी भी जनसंख्या को बढ़ावा दे रही है। और सबसे बड़ा बढ़ावा दे रहे हैं वो लोग जो सड़को पर खड़े खोकर खाना और पैसा मांगने की गुज़ारिश करते हैं। उनकी सोच एसी हो चुकी है, कि जितने बच्चे पैदा होंगे उतनी कमाई होगी। लेकिन हो इसके विपरीत रहा है, रोजगार के लालच में बेरोजगारी बढ़ रही है। इसको रोका न गया तो पूरे देश का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा। सरकार की योजनाओं को टीवी रेडियो रंगमंच के जरिये हर स्थानीय जगहों तक पहुंचाया जाना चाहिए। एकल या द्वि शिशु प्रणाली को अपनाना चाहिए। एक बच्चे वाले परिवारों को पुस्कृत किया जाना चाहिए! ताकि बाकी लोगों तक इसका प्रभाव अच्छा पड़े। दो से अधिक बच्चों वाले परिवार में रोजगार के अवसर काम दिए जाएं। सोशल मीडिया के जरिये हर दिन जनसंख्या नियंत्रण के नियमों और लाभों का प्रचार करना चाहिए । पर्यावरण की तरह जनसंख्या को भी शिक्षा में शामिल किया जा सके। इन सब कार्यों को हमे मिलकर करना चाहिए. ताकि हमारा आने वाला भविष्य उज्ज्वल बने। सोच बदलो समाज खुद बदल जायेगा।
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© सुजाता देवराड़ी