अलविदा 2022, सुस्वागतम 2023
ख़त्म हो गया एक साल और शुरू हो गया नया साल
कुछ ख्वाहिशें पूरी हुई और नई उम्मीदों का हुआ आगाज़।
खट्टी मीठी यादों की बीत गई सब बातें, अब होगा नया अंदाज।
रफ्ता रफ्ता ये गुजरेगा ये, कुछ बनेंगे तराने कुछ बनेंगे रिश्ते खास।
साल खत्म होने को बस कुछ पल बाक़ी है और नए वर्ष की खुशी में चारों तरफ हर्ष और उल्लास की रौशनी बिखर रही है।
बीता साल हम सब की ज़िंदगी में कुछ अच्छा लाया होगा। हो सकता है किसी के लिए कुछ बुरा भी रहा होगा पर जो भी है उस बुराई में भी जरूर कुछ अच्छा होगा।
खैर! आज मैं अपने बीते साल की कुछ यादें आपसे शेयर कर रही हूँ।
जनवरी 2022 जब शुरू हुआ तो मैं प्रेग्नेंट थी और नौवाँ महीना चल रहा था। माँ के पास देहरादून थी। जॉब भी कर रही थी जो कि एक अच्छा अनुभव था। फिर फरवरी ने तो मुझे एक नया जन्म दिया। एक बहु से, पत्नी से एक माँ का जन्म हुआ और हमारे घर एक नन्हें मेहमान का जन्म हुआ। 25 फरवरी का वो दिन मेरे लिए बहुत ख़ास था। जब बहुत सारे दर्द से गुजरकर मैंने एक बेटे को जन्म दिया।
मार्च से लेकर अभी तक शुरुआत एक माँ के सफर की हुई। समय बीतने लगा कभी नामकरण कभी अन्नप्राशन कभी कुछ और पूजाएँ बहुत कुछ में भागीदारी निभाते-निभाते पूरा साल खत्म हो गया। ज़िम्मेदारियों का सफर अभी भी चल ही रहा है। बच्चे के साथ कुछ ज्यादा यादें बनाने का समय तो नहीं मिल पाया मगर उसके घर आने से अब लगता है कि ये याद अपने आप में सम्पूर्ण है।
पारिवारिक रिश्तों ने भी कुछ खट्टा मीठा चलता ही रहा। इसी बीच घर में शादी की शहनाई गूँजी और हमने अपनी ननद को शादी जैसे प्यारे रिश्ते में बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ एक नए परिवार के साथ विदा किया।
मेरे गायन और लेखन के क्षेत्र में भी उतार चढ़ाव चलते रहे। जनवरी में काम तो काफी किया लेकिन ज्यादातर वह बाहर नहीं आ पाया। खाली एक गीत हमनवा स्पॉटीफाय पर रिलीज हुआ। बाकी ज्यादातरों के मामले में किश्ती अभी अधर पर ही अटकी हुई है। किसी के ऑडियो तैयार हैं और वह विडिओ की राह देख रहे हैं और किसी के ऑडियो में भी काम करना है जो कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण नहीं हो पाया। लेखन के क्षेत्र में चलचित्र-सेंट्रल के लिए कुछ लेख लिखे और कुछ गीत भी लिखे। लेख तो प्रकाशित हुए लेकिन गीतों को रिलीज होने में अभी वक्त है। फिर भी मैं संतुष्ट हूँ। इस साल जिम्मीदरियाँ कुछ और थी और जानती हूँ कि आने वाले साल में काम ज्यादा होगा।
विकास जी के भी कुछ अनुवाद और कहानियाँ पुस्तकों में प्रकाशित हुए जो कि मेरे लिए बहुत खुशी की बात थी और बहुत ज्यादा मायने भी रखती है। जनवरी में तहकीकात पत्रिका में उनके द्वारा अनुवादित एक कहानी रहस्यमयी खबरी प्रकाशित हुई, फिर अप्रैल में ली चाइल्ड के उपन्यास नेवर गो बैक का उनके द्वारा किया गया अनुवाद प्रकाशित हुआ और अब दिसम्बर में तहकीकात पत्रिका के अंत में डाशील हैमेट की लम्बी कहानी ‘आर्सन प्लस’ का अनुवाद प्रकाशित हुआ। इसके अतिरिक्त उनकी दो कहानियाँ अलग अलग कहानी संग्रहों (‘बाल कथा सागर 2’ और ‘उफ्फ़ डर का मंजर’) में भी प्रकाशित हुई।
आखिर में यही कहूँगी कि आने वाले साल को लेकर बहुत आशाएँ हैं। बहुत कुछ सोचा है। अब देखना है कि कितने सपने और कहाँ तक ये अशाएँ पूरी हो पाती है। आपको भी आने वाले को लेकर काफी आशाएँ होंगी। आशा है वह भी पूरी होंगी।
इसी खुशी के साथ आप सभी को भी नए वर्ष की बहुत शुभकामनाएँ। आशा करती हूँ आपका जीवन भी मंगलमय होगा।