गलतियाँ

गलतियाँ life quotas
गलतियाँ life quotas

गलतियाँ पेड़ के सूखे पत्तों की तरह होती हैं, जब तक किसी का नुकसान नहीं करती तब तक हरी भरी रहकर पेड़ से जुड़ी रहती हैं। लेकिन जब वो अपनी सीमाएँ लाँघ जाती हैं तो अपनी ही साख से नीचे गिर जाती हैं ।

इंसान भी कुछ ऐसा ही होता है या यूँ कहें कि गलतियों का पुतला होता है लेकिन जब तक उसके द्वारा की गई गलती किसी का नुकसान नहीं करती… तब तक वो अपने द्वारा बनाए गए रिश्तों के पेड़ पर बना रहता है मगर जैसे ही उसकी गलतियाँ किसी का नुकसान करने लगती है तो वो धीरे धीरे करके उस रिश्ते रूपी पेड़ की नज़रों से गिरने लगता है।

© सुजाता देवराड़ी

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