गाँव और शहर
तू सुंदर गाँव ना होता, तो मैं बड़ा शहर ना होता।
तेरे खेतों की मेहनत ना होती, तो मेरी दुकानों का पेट ना भरता ।
अगर तू न होता तो मैं न होता, और मैं न होता तो तू न होता।
तूने शोर न किया होता, तो मेरी शांति का मोल न होता।
तुझमे शीशे के महल न बसते, तो मुझपे मिट्टी का लेप न होता।
अगर तू न होता तो मैं न होता, और में न होता तो तू न होता।
शहर- ए गाँव ! तेरा धन्यवाद।
तुझमें हरियाली ना खिली होती, तो मुझ तक शुद्ध पवन ना पहुँच पाती ।
तुम भूतकाल की नींव ना होते, तो मैं भविष्य का रास्ता ना बनता ।
अगर तू न होता तो मैं न होता, और में न होता तो तू न होता।
गाँव- ए शहर ! तेरा धन्यवाद
तू माया ना होता, तो मेरा मोह ना होता।
तू विकास का धुआँ न होता, तो मेरे पहाड़ों का महत्व ना होता।
अगर तू न होता तो मैं न होता, और में न होता तो तू न होता।
हँसते, मुस्कुराते, स्वस्थ रहिये। ज़िन्दगी यही है।
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© सुजाता देवराड़ी