माँ का ख़याल(Maa Ka Khayal)
आज कुछ पल सुकून के बैठी तो ख़याल आया कि, अपनी माँ की एक पेंटिंग बनाऊँ। पर जैसे ही कलम हाथ में ली तो दिल ने आवाज दी, कि तुम माँ को चित्र में पूरा कर लोगी? जुबां ने कहा हाँ मैं कुछ और बना पाऊँ या नहीं, मगर अपनी माँ की पेंटिंग तो जरूर बना लुंगी।
जैसे ही मेरी उँगलियों ने कागज़ पर कलम चलानी शुरू की… तो धड़कन ने फिर रोक लिया और मुझसे पूछा! कि तुम माँ के चित्र में सबसे पहले क्या बनाओगी?
मैंने कहा “आँखें’ मेरी कलम ने चलना शुरू कर दिया।
फिर जज़्बातों ने एक आवाज दी, जिन आँखों में पूरी दुनिया बसती हैं उन आँखों को कैसे पुरा करोगी?
मैं सोचने लगी पर समझ ना पायी। मैंने आँखें बंद की और ख़ुदा से कहा कि मेरी मदद करो मेरा अरमान है अपनी माँ की एक पेंटिंग बनाऊँ ।
एक आवाज़ मेरे कानों में कुछ कहकर चली गई। मैं हैरान हुई और फिर समझ आया कि मुझसे पेंटिग क्यों ना बन पाई।
आवाज़ थी कि जिस माँ तुम्हें और इस पूरी दुनिया को बनाया है उस माँ को तुम एक पेंडिंग मैं कैसे पूरा कर पाओगी? माँ को एक चित्र मैं समेट पाना बहुत मुश्किल है।
जिस माँ ने भगवान को बनाया है उस माँ को तुम क्या इस पूरी दुनिया की सोच भी मिलकर एक चित्र मैं पूरा नहीं बना पायेगी। हाँ ! तुम अपने एहसासों को माँ की तस्वीर बनाकर उसे एक आकार दे सकते हो मगर उसे एक तस्वीर में पूरा कर पाना असंभव है।
जाने कितने पड़ाव को पूरा करने के बाद एक माँ का जन्म होता है और अपने जन्म की ख़ुशी भूलकर एक बेशक़ीमती दर्द के साथ नई जान को जन्म देती है। उसकी ऑंखें, उसकी ज़ुबाँ, उसकी धड़कन, सब बनती है वो माँ। फिर कैसे इस माँ को एक चित्र मैं सजाओगे? जिस माँ की पूर्णता कभी ख़त्म ही नहीं हो सकती, उस माँ को बनाने की शुरुआत कैसे और कहाँ से करोगे?
माँ मन होती है, माँ धन होती है, माँ सुख होती है, माँ माँ होती है।
माँ को परिभाषित करने के लिए किसी पेंटिंग की या किसी शब्द की जरुरत नहीं है। वो खुद अनगिनत शब्दों में पिरोई हुई एक पवित्र आत्मा है, जिसे हम माँ कहते हैं। और वो हमारे लिए लिए प्यार से भरी हुई ममता की सौगात है।
लव यू माँ