बस हम हो वहाँ : विकास नैनवाल ‘अंजान’
एक मैं हूँएक तुम होऔर बस हम हों वहाँ न हो दिन की खबरन हो वक्त का पताबस एक दूसरे में डूबे हुए हमकुछ ऐसे हो जायेंजैसे हो जाती हैं दो नदियाँऔर बन जाता...
एक मैं हूँएक तुम होऔर बस हम हों वहाँ न हो दिन की खबरन हो वक्त का पताबस एक दूसरे में डूबे हुए हमकुछ ऐसे हो जायेंजैसे हो जाती हैं दो नदियाँऔर बन जाता...
कभी कभी ऐसा होता है कि जब आपका नाश्ता बहुत भारी हो जाए तो दिन का खाना आप नजरंदाज ही करते हो। आजकल मेरे और विकास के साथ भी यही हो रहा है। अब...
परिचय-हम लोग अक्सर अपने खाने के लिए बाज़ार से बनी चीज़ें खरीद कर लाते हैं जो बहुत ज्यादा महंगी होने के साथ साथ फायदेमंद भी नहीं होती है। मैं ये नहीं कहती कि बाज़ार...
पंदेरा धार पंदेराबहता जाए जल धार पंदेरातू चंचल, शांत, गुस्सेल कभीतू ही प्यास बुझाए धार पंदेराहे धार कहाँ उद्गम कहाँ अंत तेरादिखता कण कण में अंश तेराधरती की गोद में इठलाती हैपर्वत झरना झील...
गीत संगीत का हमारी ज़िंदगी से जुड़ाव और लगाव एक अलग क़िस्म का होता है जिसे एक शब्द में बयाँ कर पाना मुश्किल है। वहीं इसी गीत संगीत की पसंद ना पसंद भी सबकी...
किसी के लिए ज़िंदगी दो दिन का मेला है। किसी के लिए ज़िंदगी चार दिन की चाँदनी । किसी के लिए ये ज़िंदगी चंद लम्हों की की खुशी है। लेकिन सच तोआखिर ये है...
बूँदें तो आख़िर बूँदें होती है. क्या अजीब खेल है इन बूंदों का, कुछ कभी बारिश बनकर, ज़मीं को हरा -भरा कर देती है । तो कभी आंसू बनकर आँखों को, सूखे बंज़र...
भारत एक संस्कृतियों का देश है जहाँ हर जगह के अपने अपने रीति रिवाज और संस्कृति है। उन्हें मनाने के अपने अपने तरीके है। अपनी बोली भाषा है अपनी वेशभूषा और अपने त्योहार हैं।...