Author: सुजाता देवराड़ी

झूठे दिखावे 0

झूठे दिखावे

तुमने ज़िंदा रहते जाति-धर्म की जो खोखली लंका खड़ी की थी न आज उसी लंका के नीचे अग्नि को साक्षी मानकर सब जाति धर्म तो एक हो गए मगर तुम ना रहे। खुद को...

कद्र (Kadar) 1

कद्र (Kadar)

अगर किसी की कद्र करनी है तो उसके रहते करो । अगर किसी को अच्छा साबित करना है उसके रहते करो। किसी में खूबियाँ ढूँढने के लिए उसका आपसे दूर जाना जरूरी है क्या?...

संजय राणा 0

संजय राणा-sanjay rana (कहाँ तुम चले गए)

निशब्द हूँ !न केवल मैं, बल्कि हर वो शख़्स जो आपसे कभी रूबरू हुआ था।निःशब्द है हर वो गीत जिनमें मधुरता के साथ साथ आपकी छवी झलकती थी।निशब्द है संगीत की हर वो धुन...

आग की लपेटों में जलती प्रकृति और उसकी गोद में तड़पते बेज़ुबान जीव 0

आग की लपेटों में जलती प्रकृति और उसकी गोद में तड़पते बेज़ुबान जीव

क्या हालत हो गई है हमारे जंगलों की । उत्तराखंड में जगल बुरी तरह से जल कर राख हो रहे हैं। चारों तरफ आग देखकर ऑस्ट्रेलिया में हुए हादसे की दर्दनाक यादें मन को...

माँ का ख़याल(Maa Ka Khayal) 0

माँ का ख़याल(Maa Ka Khayal)

आज कुछ पल सुकून के बैठी तो ख़याल आया कि, अपनी माँ की एक पेंटिंग बनाऊँ। पर जैसे ही कलम हाथ में ली तो दिल ने आवाज दी, कि तुम माँ को चित्र में...

Gulabi Dhoop 1

गुलाबी धूप | हिन्दी कविता

ठिठुरती ठंड में तेरा गुलाबी धूप सा मुझे छूकर मेरे कानों में धीमें से मुझे पुचकारनाऔर कहना कि मुझे प्यार की बेल सा तुमसे लिपटना है। सिमटती रात में तेरे दहकते लबों का मुझे...

बस हम हो वहाँ | हिन्दी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान' 1

बस हम हो वहाँ : विकास नैनवाल ‘अंजान’

एक मैं हूँएक तुम होऔर बस हम हों वहाँ न हो दिन की खबरन हो वक्त का पताबस एक दूसरे में डूबे हुए हमकुछ ऐसे हो जायेंजैसे हो जाती हैं दो नदियाँऔर बन जाता...