अच्छा लगता है।

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मुझे मंजूर है हर वो मुसीबतें, जो बे-वक़्त बिन बताए चली आती है,
क्योंकि मुझे ज़िंदगी के लिए लड़ना अच्छा लगता है।
मुझे मंजूर है हर वो आँसू, जो बिन बादल बरसात सी मुझे भिगोती है,
क्योंकि मुझे दर्द की कीमत पहचाननी अच्छी लगती है।
मुझे टूटना भी अच्छा लगता है, मुझे बिखरना भी अच्छा लगता है।
मुझे दौड़ भी पसंद है, मगर मझे थक कर रुकना भी अच्छा लगता है
मुझे बेबाक़ हँसना अच्छा लगता है, लेकिन गिरकर संभलना भी अच्छा लगता है।
बातों से ये दुनिया बहुत आगे निकल गई,
पर मुझे खामोश रहकर बे-जुबाँ साहस और जज़्बात को समझना अच्छा लगता है।
ये समय का चक्रव्यूह भी बहुत अजीब है।
कभी फूल बनने में बे-हिसाब देर करता है,
तो कभी हाथ से रेत की तरह अपलक ही फिसल जाता है।
इन सबके साथ मुझे जिद पसंद है, लेकिन मुझे अपना सब कुछ गँवाकर किसी के चेहरे पर हँसी देना भी अच्छा लगता है।
अच्छा लगता मुझे, चिड़िया का वो घोंसला,
जिसमें दिनभर धूप की आँच में तपी, वो माँ अपने बच्चों को खाना जुटाकर खिलाती है।
अच्छा लगता है मुझे वो होंसला,

जो खुद का घर ना होने पर भी दूसरों का घर बनाने में अपना पसीना बहा देते हैं।
मुझे चंचलता पसंद है, पर मुझे शांत रहकर किसी को सुनना भी अच्छा लगता है।
मंजूर है मुझे ज़िंदगी के हर वो रंग, जो मुझे जीना सिखाते हैं
क्योंकि मुझे निस्वार्थ प्रेम में डूबना अच्छा लगता है।
अच्छे लगते हैं जज़्बातों के वो बेबाक़ ढंग।
और अच्छा लगता है मुझे अपनों के संग।

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