दुनिया की सबसे महंगी सब्जियों में से एक है गुच्छी मशरूम
गुठलियों की पिछली पोस्ट एक छोटी सी बातचीत में मैंने आपसे कहा था कि मैं अपनी अगली पोस्ट में गुच्छी नाम के विषय पर चर्चा करूँगी। इस पोस्ट को आने में काफी विलंब हो गया क्योंकि मैं अपने बाकी के लेखन कार्यों में व्यस्त हो गई थी। आज जाकर थोड़ा समय मिला तो सोचा इस अधूरे विषय को पूरा कर लूँ ।
तो बिना देर किये आईए जानते हैं कि
आखिर गुच्छी है क्या? और इसका हमारे देनिक जीवन में क्या महत्व है?(What is Guchchhi and why is it so important?)
गुच्छी, इसका औषधीय नाम मार्कुला एस्क्यूपलेटा (Morchella Esculenta) है जो एक तरह का कवक है। ये एक फूल होता है जिसका प्रयोग सब्जी के तौर पर किया जाता है। गुच्छी के न केवल फूल को इस्तेमाल किया जाता है बल्कि इसके बीजकोषों को भी तरकारी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर है। भारत और नेपाल में स्थानीय भाषा में इसे ‘गुच्छी’, छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है।
गुच्छी को कई जगह मशरूम भी कहा जाता है हालांकि इसकी बनावट मशरूम से बिल्कुल अलग है पर फिर भी कई बार इसे गुच्छी मशरूम के नाम से भी लोग बुलाते हैं। गुच्छी मशरूम बुलाने के पीछे भी एक बड़ा कारण है वो ये कि कई लोग गुच्छी नाम से अनभिज्ञ होते हैं। मैं भी उनमें से एक थी मुझे भी नहीं पता था कि आखिर गुच्छी होता क्या था? जब मेरे किसी फेसबुक मित्र ने मुझे इसके बारे में बताया तो मैं हैरान हो गई थी कि ये कैसा नाम है जो खाने में इस्तेमाल होता है। लेकिन जब मैंने गूगल किया तो जान पाई गुच्छी के विषय में। लोगों के बीच ये नाम परिचित रहे इसलिए इसे गुच्छी मशरूम कहा जाता है।
गुच्छी एक ऐसा कवक है जो आसानी से हर जगह उपलब्ध नहीं होता है। इसे तलाशने में काफी मेहनत लगती है। जैसे “कीड़ा जड़ी “एक तरह का जीव होता है जो केवल हिमालाई इलाकों में घने जंगलों में पाई जाती है और ये आसानी से किसी को नजर नहीं आती है। उसे खोजने में बहुत एकाग्रता की आवशयकता होती है। खैर इस विषय पर फिर कभी और बात करेंगे। गुच्छी भी कुछ ऐसा ही है इसे पहचानने में बहुत मुश्किल होती है। क्योंकि इसी तरह का एक और फूल होता है जो काफी विषैला होता है। अगर किसी को मशरूम या गुच्छी की पहचान नहीं है तो वो आसानी से धोखा खा सकता है। ऐसा नहीं है कि ये फूल हर महीने आपको उपलब्ध हो जाए नहीं! प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले इस फूल की पैदावार फरवरी,मार्च के महीने में और सितम्बर से दिसंबर तक के बीच होती है। हिमालय क्षेत्रो में रहने वाले लोग इसको संजीवनी मानते हैं।
गुच्छी के औषधीय गुण (Medicinal Qualities of Guchchhi?)
रिसर्च गेट में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार गुच्छी एक तरफ सब्जियों में ये सबसे महंगी बिकने वाली सब्जी है तो वहीं दूसरी तरफ इसके कई औषधीय गुण भी हैं। कई बीमारियों की दवाइयों के लिए इसको प्रयोग में लाया जाता है। गुच्छी नाम की इस मशरूम की सब्जी को खाने से कभी दिल की बीमारियाँ नहीं होती है। इसमें विटामिन B और D के अलावा C और K भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा गुच्छी इंसान के शरीर में ट्यूमर को बनने से रोकती है। इससे गठिया जैसे रोग में होने वाली सूजन से राहत मिलती है।
गुच्छी मशरूम में प्रोटीन, फैट, फाइबर, कार्बोहायड्रेट और काफी मात्रा में मिनिरल्स पाया जाता है, ये एक एंटीऑक्सीडेंट, एंटीट्यूमर, ऐन्टीमाइक्रोबीअल और एंटी इन्फ्लैमटोरी प्रॉपर्टी युक्त सब्जी है। इसीलिए यह काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। गुच्छी मशरूम से प्राप्त एक्सट्रैक्ट की तुलना डायक्लोफीनेक नामक आधुनिक सूजनरोधी दवा से की गई है। इसे भी सूजनरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है। इसके प्रायोगिक परिणाम कीमोथेरेपी के रूप में प्रभावी हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि मोरेल मशरूम प्रोस्टेट व स्तन कैंसर की संभावना को कम कर सकता है।
स्रोत : research gate
चीन में इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों से शारीरिक रोगों/क्षय को ठीक करने के लिए किया जा रहा है।
आईए अब जानते कि गुच्छी मशरूम कहाँ कहाँ पर और किस दाम में पाई जाती है? (Where to find Guchchhi mushroom and how much it costs?)
30,000 रुपये प्रति किलो बिकने वाली गुच्छी सब्जी चंबा, कुल्लू, शिमला, मनाली सहित हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के जंगलों में पाई जाती है। यह बर्फ पिघलने के बाद उगती है इसकी तलाश में हिमाचल के ग्रामीण जंगलों में जाकर झाड़ियों और घनी घास में पैदा होने वाली इस गुच्छी को बड़ी पैनी नजर से ढूंढते हैं। ज्यादा मात्रा में गुच्छी हासिल करने के लिए ग्रामीण सुबह से ही इसको ढूंढने के में जुट जाते हैं। अगर मैं ये कहूँ कि यहाँ के ग्रामीणों का गुच्छी के लिए बेसब्री वाला इंतज़ार इससे होने वाले मुनाफे को लेकर होता है तो गलत नहीं होगा। ये सीजन में कई घरों का व्यवसाय है और आसानी से उपलब्ध ना होने के कारण इसकी पूरी दुनियाँ में बहुत माँग है। विदेशी बाज़ार में तो इसके दामों ने तहलका मचाया होता है। विदेशी लोग ऐसी चीज़ें खाने के बड़े शौकीन होते हैं इसलिए वो इसकी मुँह मांगी कीमत अता करने को तैयार हो जाते हैं। जहाँ एक तरफ इसके लजीज व्यंजन बना कर ग्राहकों को ऊंचे दामों में परोसा जाता है वहीं मंहगे होटलों में इसके एक कप सूप की कीमत 5000 रुपये तक कि होती है। इसकी मांग सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी है।
हर कोई हर चीज से वाकिफ़ हो ये जरूरी नहीं होता है। लेकिन उस विषय का नाम सुनने के बाद भी उसके विषय में ना जानना ये सही नहीं है। जैसे मुझे गुच्छी के विषय में नहीं पता था लेकिन नाम सुनने के बाद मैं खुद को इसके विषय में जानने से रोक नहीं पाई और बहुत रिसर्च के बाद मुझे जरूरी लगने के बाद ही मैंने फैसला किया कि मुझे ये विषय आप सबके बीच रखना चाहिए।
बात अगर सिर्फ खाने की होती होती तो एक पल के लिए सोच भी लेती लेकिन इसके गुणों को जानने के बाद मुझे लगा कि जो लोग गुच्छी से अनभिज्ञ है उन्हें भी इसकी जानकारी होनी बहुत आवशयक है। व्यवसाय के रूप में भी गुच्छी के योगदान ने मुझे काफी प्रभावित किया है। पहाड़ों में उगने वाली इस सब्जी ने ना केवल देश बल्कि विदेशों में भी अपने स्वाद के चलते इसकी माँग की रफ्तार को दिन प्रतिदिन बढ़ावा दिया है। आने वाले समय में गुच्छी एक बहुत बड़े व्यापार के रूप में निर्यात का साधन बन सकता है जो कि हमारे देश के लिए आर्थिक रूप से काफी मदद करेगा। हमें मिलकर इसकी पैदावार को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए ताकि कई लोगों को रोजगार मिल सके।
– सुजाता देवराड़ी