क्या हो गया है इस देश को
मेरी आँखों से बहता पानी है, क्या हो गया है इस देश को।
कोई वहशीपन में कोई है नशे की धुन में, क्या हो गया है इस देश को।
लड़ना चाहूँ, मरना चाहूँ, करना चाहूँ अच्छा इसको।
हर युवा अगर मेरे साथ बढ़े, सम्मान दिला दूँ मैं सबको।
मैं राख़ बना दूँ हर उड़ती, गंदी चिंगारी के पर को,
हर युवा अगर मेरे साथ बढ़े, सम्मान दिला दूँ में सबको।
मैं तीज मनाऊँ, ईद मनाऊँ, करवा पूजूँ रोजा रख लूँ,
एक धर्म मेरा इंसानी है, हर शख्स को अपना मैं कह लूँ।
करते रहना तुम हिन्दू मुस्लिम, मैं ना बिकने दूँ धरती माँ को,
हर युवा अगर मेरे साथ बढ़े, मैं ना झुकने दूँ किसी सैनिक को।
कहीं राजनीति के दाव पेंच है, कहीं रिशवत खोरी रोजगार में।
कहते सब देश तरक़्क़ी कर रहा, फिर भी लाचारी है समाज में।
आखिर कब तक सहना होगा , आखिर कब तक झुकना होगा।
सब बंद करो ये खेल घिनोना, वरना सबको मरना होगा।
है वचन मेरा पूरा कर दूँ , भारत के उज्ज्वल सपने को।
हर युवा अगर मेरे साथ बढ़े, ना बुरा किसी का अब कल हो।
किसी आँखों में ना कोई आँसू बहे, कोई बच्चा हो या बूढ़ा हो।
हम युवा अगर सब साथ बढ़े, फिर सोने की चिड़िया बनाएं इसको।
हर युवा अगर सब साथ बढ़े, फिर सोने की चिड़िया बनाएं इसको।
मेरी आँखों से बहता पानी है, क्या हो गया है इस देश को।
कोई वहशीपन में कोई है नशे की धुन में, क्या हो गया है इस देश को।
सुजाता देवराड़ी