माँ तेरी याद में
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माँ तेरी याद में हर पल ये खुद से कहती हूँ
इतना सुन्दर रूप सलोना, मन पावन गंगा तेरा।
तेरे होने से ये सारा संसार है माँ,
हर आस, भाव, ममता की साँस है माँ ।
कभी तू मुझमें मेरा अंश बनके रही,
और आज मैं तुझमें तेरी परछाई बनके हूँ।
कभी तू किसी माँ के घर की किलकारी बनी।
आज तेरे आँगन का फूल मैं हूँ।
कभी तूने एक पुरुष का अस्तित्व कायम किया
कभी एक बहु, बेटी,पत्नी बनकर हर घर की ढाल बनी
तूने रूप उस माँ दुर्गा से धरे, जिनके नाम अनगिनत हैं।
कभी तू बुराई का नाश और कभी किसी का वरदान बनी ।
तू नहीं तो कुछ नहीं, तू है तो जग बगिया है माँ
तेरे होने से ये सारा संसार है माँ।
मुझे तेरी हर डाँट फटकार
गलती पर याद आ जाती है ।
तेरे हाथ का स्वाद मेरी
भूख सभी मिटाती है।
चोट कभी लग जाए तो
तेरी हँसी दवा बन जाती है।
घबरा जाऊँ कभी किसी मुश्किल से
तू हिम्मत बनके दिख जाती है ।
नींद मेरी आँखों से चोरी
तेरी लोरी होने नहीं देती माँ
तू धड़कन में मेरी बसती है।
मेरी साँझ पहर मेरा गाँव शहर
बस तू ही और तू ही है माँ ।
तेरे होने से ये सारा संसार है माँ।
तू नहीं तो कुछ नहीं, तू है तो जग बगिया है माँ।
© सुजाता देवराड़ी
बहुत ही सुन्दर कविता… अपने मन के भावों को आपने बहुत ही अच्छे ढंग से उकेरा है…
बहुत सुंदर।
Bahut hi marmik aur dil ko chhu lene waali rachna …👌🙂