ताबीज (शायरी)

“ये तय है कि वजह दोष का, ज़रिया न था वो।
पर गले ग़लतफ़हमियों ने, सवालों की ताबीज पहना दी।”

कभी कभी दिल बड़ा शायराना हो जाता है. वही आज मेरा दिल भी हुआ है।  तो सोचा क्यों न आपके साथ बांटा जाय।  तो लुत्फ़ उठाइये इस शायरी का।  और कमेंट करके जरूर बताइयेगा कि कैसा लगा।

 
हँसते, मुस्कुराते, स्वस्थ रहिये। ज़िन्दगी यही है।  

आप मुझसे इस आईडी पर संपर्क कर सकते हैं.
sujatadevrari198@gmail.com
© सुजाता देवराड़ी

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