बस हम हो वहाँ : विकास नैनवाल ‘अंजान’

बस हम हो वहाँ | हिन्दी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'
Image by Mihai Paraschiv from Pixabay

एक मैं हूँ
एक तुम हो
और बस हम हों वहाँ

न हो दिन की खबर
न हो वक्त का पता
बस एक दूसरे में डूबे हुए हम
कुछ ऐसे हो जायें
जैसे हो जाती हैं दो नदियाँ
और बन जाता है एक संगम
हमारा मिलन भी हो कुछ ऐसा ही पवित्र
न मैं मैं रहूँ
न तुम तुम रहो
बस हम हो यहाँ

तुम्हारे अधरों पर खिली मुस्कराहट की
वजह मैं बनूँ
तुम्हारे गालों में आई सुर्खी की
वजह मैं बनूँ
और तुम हो जाओ वजह
मेरे जीने की
मेरे हँसने की
मेरी खुशियों की

एक छोटी सी दुनिया बनाए हम
एक मैं हूँ
एक तुम हो
बस हम हो वहाँ

स्वर- सुजाता देवराड़ी & शब्द-विकास नैनवाल ‘अंजान’

1 Response

  1. बहुत सुंदर । अभिनंदन आप दोनों ही का ।

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