सस्पेंस थ्रिल से भरपूर है लेखक देवेन्द्र प्रसाद का उपन्यास ‘लौट आया नरपिशाच’

किताब चर्चा: लौट आया नरपिशाच
किताब चर्चा: लौट आया नरपिशाच

किताब: लौट आया नरपिशाच | प्रकाशक: फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न

कहानी

‘लौट आया नरपिशाच’ एक केंद्र में एक ऐसा नरपिशाच है जिसका आतंक पिछले सौ सालों से चौहड़पुर नामक एक गाँव में फैला हुआ है। गाँव वालों की मान्यता है कि यह एक ऐसा नरपिशाच है जो हर चौबीस वर्षों के अंतराल में क्रिसमस के वक्त इस गाँव में आता है और इस गाँव में बसे इस चर्च के फादर की बेरहमी से हत्या कर देता है और अपना खूनी खेल खेलकर यहाँ के लोगों के दिलों में एक खौफ़नाक दहशत पैदा कर देता है।

क्या असल में कोई ऐसा नरपिशाच है या ये केवल गाँव वालों का अंधविश्वास है?

यह ऐसी गुत्थी है जिसे सुलझाने का जिम्मा केविन मार्टिन को दिया जाता है। केविन मार्टिन अपनी एजेंसी का सबसे काबिल प्राइवेट डिटेक्टिव है जिसने अब तक 49 केस को सफलतापूर्वक सुलझाया है और यही कारण था कि केविन के बॉस को पूरा भरोसा है कि वह चौहड़पुर के नरपिशाच के इस रहस्य का भी पता लगा लेगा।

क्या केविन नर पिशाच का पता लगा पाया? इस मिशन में उसे कौन-कौन सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा?

ऐसे और इस जैसे कई प्रश्नों का उत्तर आपको इस उपन्यास को पढ़ने पर प्राप्त होंगे।

मेरे विचार


‘लौट आया नरपिशाच’ देवेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास फ्लाई ड्रीम पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। उपन्यास पर अपनी बात मैं बिन्दुवार रखना चाहूँगी:

लेखन शैली

उपन्यास की लेखन शैली की अगर मैं बात करूँ तो लेखक ने सरल और साधारण सी भाषा का प्रयोग किया है जिससे पढ़ते हुए आपकी लय बाधित नहीं होती है। भाषा में अत्यधिक अलंकरण का प्रयोग न कर इसे बोल चाल की भाषा तक सीमित रखा गया है जो इसे हर वर्ग के पाठक के लिए उपयुक्त बनाती है। हाँ, एक दो जगह पर व्याकरण त्रुटि और एक दो जगह पर वर्तनी की गलतियाँ हैं जिसे अगर बहुत गौर से पढ़ा जाए तभी आपकी पकड़ में आयेंगे।

उपन्यास की वो बातें जो मुझे पसंद आई

  • सबसे पहले तो मैं उपन्यास के कवर आर्टिस्ट की तारीफ करना चाहूँगी। उन्होंने काफी अच्छा काम किया है। कवर पृष्ठ उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता है। चर्च की तस्वीर उस पर खून से सना बड़े-बड़े नाखूनों वाला हाथ जो कि एक शिकंजे की तरह चर्च की ओर अंकित है। चर्च के ऊपरी नुकीले भाग पर बादलों का गुच्छा और एक अजीब तरह की शंकित रौशनी इस तस्वीर के प्रति आकर्षित कराती है। ये तो तय है कि कवर फोटो को देखकर आपके मन में एक बार इस कहानी को पढ़ने की लालसा जरूर जाग जाएगी।
  • कहानी इस तरह से लिखी गयी है कि पाठक में इसे लेकर उत्सुकता बरकरार रहती है जिसके चलते वह उपन्यास के पन्ने पलटते चले जाता है
  • उपन्यास में कुछ दृश्य हास्य भी पैदा करते हैं जिसे पढ़ने में मुझे आनंद आया
  • उपन्यास में थ्रिल तो है साथ-साथ उपन्यास में रोमांस का तड़का भी लेखक ने लगाया है। उपन्यास ने इन रोमांटिक दृश्यों को जिस तरह से लिखा है वह पढ़ते हुए कहीं से भी अभद्र नहीं लगते हैं जो कि मुझे पसंद आया।

उपन्यास में क्या बेहतर हो सकता था

  • केविन को चौहड़पुर भेजने का कोई पुख्ता कारण नहीं दर्शाया गया है। केविन एक प्राइवेट एजेंसी में काम करता है। वह सरकारी संस्था नहीं है जिन पर किसी गाँव में हो रही हत्याओं के राज को सुलझाने की जिम्मेदारी हो। ऐसे में कोई एजेंसी बिना किसी फायदे के लिए अपने सबसे बेहतरीन डिटेक्टिव को इस मिशन पर लगाएगी यह समझ से परे है। जितना वक्त केविन ने इधर लगाया उतने वक्त में वह किसी अमीर आदमी का केस लेकर उसे सुलझाता तो एजेंसी के लिए ज्यादा फायदेमंद न होता? मुझे लगता है अगर लेखक एजेंसी द्वारा डिटेक्टिव को इस गाँव में भेजने का कोई पुख्ता कारण देते तो शायद बेहतर होता।
  • उपन्यास को चूँकि एक हॉरर उपन्यास के तौर पर प्रचारित किया गया है तो पाठक को उम्मीद रहती है कि पढ़ते हुए उपन्यास में हॉरर का एहसास हो। लेकिन ऐसा इस उपन्यास को पढ़ते हुए नहीं होता है। कहानी में हॉरर के तत्व कमजोर है जिन्हे मजबूत किया जा सकता था। या फिर इसे केवल एक पारलौकिक रोमांच कथा के तौर पर प्रचारित करना चाहिए ताकि हॉरर की अपेक्षा पाठक को इससे न रहे।

अंत में यही कहूँगी कि उपन्यास ने मेरा तो पूरा मनोरंजन किया। मुझे हाल ही में पता चला है कि लेखक की एक पुस्तक पर फिल्म बन रही है। इस खबर के बाद मैं यह कह सकती हूँ कि लौट आया नर पिशाच को भी बड़ी स्क्रीन पर ढाला जा सकता है। अगर इस उपन्यास पर कोई फिल्म या सीरीज बनाई जाए तो मनोरंजन से भरपूर तो होगी ही, साथ में एक कामयाब फिल्म का टैग भी अपने नाम करेगी। क्योंकि फिल्मों में जिस तरह का मसाला चाहिए होता है वो सब इस किताब की कहानी में मौजूद है। उम्मीद है जल्द इस पर कुछ देखने को मिलेगा।

3 Responses

  1. DEVENDRA PRASAD says:

    किताब समीक्षा की लिए आपका बहुत बहुत आभार।

  2. पुस्तक के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। पढ़ने की कोशिश रहेगी।

  3. Man Mohan Bhatia says:

    फ़िल्म बन रही है तो धांसू किताब होगी

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