क्या है ज़िंदगी
किसी के लिए ज़िंदगी दो दिन का मेला है। किसी के लिए ज़िंदगी चार दिन की चाँदनी । किसी के लिए ये ज़िंदगी चंद लम्हों की की खुशी है। लेकिन सच तोआखिर ये है...
किसी के लिए ज़िंदगी दो दिन का मेला है। किसी के लिए ज़िंदगी चार दिन की चाँदनी । किसी के लिए ये ज़िंदगी चंद लम्हों की की खुशी है। लेकिन सच तोआखिर ये है...
बूँदें तो आख़िर बूँदें होती है. क्या अजीब खेल है इन बूंदों का, कुछ कभी बारिश बनकर, ज़मीं को हरा -भरा कर देती है । तो कभी आंसू बनकर आँखों को, सूखे बंज़र...
मेरी आँखों से बहता पानी है, क्या हो गया है इस देश को।कोई वहशीपन में कोई है नशे की धुन में, क्या हो गया है इस देश को। लड़ना चाहूँ, मरना चाहूँ, करना चाहूँ...
मुझे मंजूर है हर वो मुसीबतें, जो बे-वक़्त बिन बताए चली आती है,क्योंकि मुझे ज़िंदगी के लिए लड़ना अच्छा लगता है।मुझे मंजूर है हर वो आँसू, जो बिन बादल बरसात सी मुझे भिगोती है,क्योंकि...
एक अनजाने रिश्ते की ख़ुशी और डर दोनों पनपने लगे हैं।सवाल -जवाब की उलझनें आपस में ख़ुद से ही झगड़ने लगें हैं।।जाने क्या मोड़ लेंगी राहें, ना उसको पता है ना कोई ख़बर मुझे।सही...
सुनो! कभी -कभी सोचता हूँ कुछ समय में तुम किसी और की हो जाओगी, तो सब कैसे पलट जाएगा न । बेदर्द वक़्त ने हमें दूर करने का फरमान जो जारी कर दिया था।...
हम लोग अपनी ज़िंदगी में कितने स्वार्थी क़िस्म के हो गए हैं ना..? ये मेरा वो मेरा, इसका-उसका, ये “मैं” नामक अहंकार हमको दिन ब दिन जकड़ते जा रहा रहा है। मुझे इतना चाहिए, मुझे...
अल्फ़ाज़ों का हमारी ज़िंदगी में बहुत महत्वपूर्ण क़िरदार होता है। वो हमें हमारे रिश्तों से जोड़े रखता है। उन्हे समेटे रखता है। लेकिन कभी गुस्से या मज़ाक में निकले वही अल्फ़ाज़ हमें या दूसरों...